२१ जून वैश्विक योग-दिवस विशेष

२१ जून वैश्विक योग-दिवस  विशेष

२१ जून वैश्विक योग-दिवस विशेष

आज के दिन से ही ग्रीष्मकालीन अयन अर्थात् सौर दक्षिणायन और सौर वर्षाऋतु का प्रारम्भ होता है। आज का दिवस सर्वाधिक दीर्घ होता है।

योग: कर्मसु कौशलम् । समत्वं योगमुच्यते । 

योगाभ्यास के मुख्यतया दो भाग है :-- 

१. योगासन २. प्राणायाम 

*योग का शब्दार्थ है जोडना । 

शरीर, मन, बुद्धि, अहंकार परस्पर #समन्वित करना ।

हमारे षड्दर्शनों में महर्षि पतञ्जलि का "योग-दर्शन" भी एक महत्त्वपूर्ण जीवनदर्शन है । 

योग-दर्शन का 'योगशास्त्र' इस नाम से "पातञ्जलयोगसूत्रों" में वर्णित है । 

योगशास्त्र के चार चरण - 

१. समाधिपाद - ५१ सूत्र

२. साधनपाद - ५५ सूत्र

३. विभूतिपाद - ५५ सूत्र 

४. कैवल्यपाद - ३४ सूत्र  

 इन १९५ योगसूत्रों में से कुछ सूत्र हैं :-

सूत्र १. #अथ_योगानुशासनम् ।। 

योग का अनुशासन। अनुशासन का अर्थ है: - व्यवस्था-प्रतिपादक शास्त्र । 

सर्वप्रथम योग की परिभाषा -- 

सूत्र २. #योगश्चित्तवृत्तिनिरोध: ।। 

अर्थात् - 

चित्त (मन, अन्त:करण) के (शरीर के माध्यम से होनेवाले ) व्यवहारों को नियन्त्रित करना ही योग (का उद्देश) है । 

सूत्र २९. 

#यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टांगानि । 

योग के ८ अंग है - 

सूत्र ३०. #यम - *अहिंसा, 

                       *सत्य, 

                       *अस्तेय (चोरी न करना), 

                       *ब्रह्मचर्य, 

                       *अपरिग्रह (अनावश्यक संग्रह न 

                                        करना) । 

सूत्र ३२. #नियम -

* शौच (स्वच्छता/पावित्र्य),

                    * सन्तोष (प्राप्तस्थिति में

                                         प्रसन्नता)

                          * तप (इन्द्रियसंयमन) 

                          * स्वाध्याय (अध्ययन/अभ्यास) 

                          * ईश्वरप्रणिधान . 

#आसन - इस योगांग का याने अनेकानेक

              आसनों एवं मुद्राओं का ही प्रचार और

              प्रयोग सर्वाधिक होता है पर वस्तुत:

              योगशास्त्र में इस पर केवल तीन ही सूत्र

              हैं । 

सूत्र ४६. #स्थिरसुखमासनम् -

आसन अर्थात् बैठने का स्थान स्थिर हो/ कष्टकारक न हो । 

सूत्र ४७. #प्रयत्नशैथिल्यानन्तसमापत्तिभ्याम् । 

             शरीर की हलचलें रोकना, 

             अनन्त परमेश्वर में चित्त एकाग्र करना । 

सूत्र ४८. #ततो_द्वन्द्वानभिघात: । 

            इससे अर्थात् आसन स्थिरसुख होने से

            सुख-दु:ख, शीतोष्णादि दो परस्परविरुद्ध

            स्थितियों से पीडा नहीं होती । 

अगला अंग #प्राणायाम 

सूत्र ५०. #स_तु_बाह्याभ्यन्तरस्तम्भवृत्तिर्देशकालसंख्याभि:#परिदृष्टो_दीर्घसूक्ष्म: । 

प्राणायाम का अर्थ है - 

रेचक/उच्छ्वास (श्वास बाहर छोडना, कुछ समय रोकना), 

पूरक (श्वास भीतर लेना) 

कुम्भक (श्वास भीतर ले कर कुछ समय तक भीतर रोकना) 

प्राणायाम के अन्यान्य प्रकार भी है । 

उपर्युक्त चार योगांग आधिभौतिक है । किन्तु शेष #प्रत्याहार, #ध्यान, #धारणा, #समाधि ये चार योगांगो का स्वरूप आध्यात्मिक है । अत:उनका विवरण फिर कभी करूँगा । 

मुख्य विषय है -- 

इस अष्टांग योग में यम-नियम ये प्रथम दो अंग सर्वाधिक महत्वपूर्ण और आधारभूत हैं । यम-नियमों का परिपालन अत्यन्त कठिन है, तथापि इन दो अंगों को साधे बिना शेष अंग अपेक्षित मात्रा में प्रभावशाली नहीं होते ।‌ इसलिए प्रयत्नपूर्वक इनका परिपालन करना होगा । 

#आसन/योगासन और #प्राणायाम -- 

हम जिन योगासनों और प्राणायामों का अभ्यास करते हैं उनका केवल उल्लेख मात्र पातंजल योग सूत्रों में है।

आइये आज से हम अपने स्थूल शरीर के साथ कारण शरीर और सुक्ष्म शरीर पर भी ध्यान दें ....

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाओं सहित

 

 #सुबह_की_राम_राम

????

#संजय_गोविंद_खोचे

भोपाल

#वैश्विक_योग_दिवस