श्री गंगा दशहरे की सबको हार्दिक शुभकामनाएं...

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गंगा दशहरा 05 जून 2025 गुरूवार

स्कंद पुराण में गंगा के अवतरण की चर्चा करते हुए कहा गया है:- 
ज्येष्ठे मासे सिते पक्षे, दशम्यां बुधस्तयो:
व्यतीपादे गरानंदे, कन्याचंद्रे वृषे रवौ
हरते दश पापानि, तस्माद्दशहरा स्मृता।।

जिस दिन ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि,  दिन बुधवार, हस्त नक्षत्र, व्यतीपाद, गर और आनंद योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृष राशि में सूर्य इसलिए इसे गंगा दशहरा कहा जाता है। ऐसा भी कहा गया है कि इस दिन मां गंगा का व्रत, गंगा स्नान और गंगा का विधिपूर्वक पूजन करने से उपासक को तीन प्रकार के शारीरिक, चार प्रकार के वाचिक और तीन प्रकार के मानसिक- इन दस पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन गंगा में स्नान करने वाले को बैकुंठलोक की प्राप्ति होती है, ऐसा भी पुराणों में कहा गया है।

अगर किन्हीं कारणों से गंगा नदी तक पहुंचना संभव न हो, तो उपासक को अपने पास में ही किसी भी नदी या तालाब में स्नान करके तिलों का अर्पण करना चाहिए।

गंगा पूजन की विधि: इस दिन गंगा नदी में स्नान करके पुष्प और अर्घ्य देते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-

ओम नमो भगवत्यै, दशपापहरायै गंगायै,
कृष्णायै, विष्णुरूपिण्यै, नन्दिन्यै नमोनम:।।

इसके अतिरिक्त गंगा नदी से दूर रहने वाले उपासक को मां गंगा की मूर्ति का अक्षत, पुष्प, धूप आदि से विधि विधानपूर्वक पूजन करना चाहिये। इसके बाद 'ओम नमो भगवति, ऐं ह्रीं श्रीं (वाक्-काम-मायामयि) हिलि हिलि, मिलि मिलि, गंगे मां पावय पावय', इस मंत्र से पांच बार गंगा का पूजन करें।

गंगा दशहरा का महत्व

पुरणों के अनुसार भगीरथी की तपस्या के बाद जब गंगा माता धरती पर आती हैं उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की  दशमी थी। गंगा माता के धरती पर अवतरण के दिन को ही गंगा दशहरा के नाम से पूजा जाना जाने लगा। इस दिन गंगा नदी में खड़े होकर जो गंगा स्तोत्र पढ़ता है वह अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है। स्कंद पुराण में दशहरा नाम का गंगा स्तोत्र दिया हुआ है।

आज गंगा जी का ध्यान करते हुए षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए। इसके बाद इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

''ॐ नम: शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम:''          

गंगा दशहरा के पर्व पर दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है। पूजन के बाद अगर संभव हो तो दस फल, दस दीपक और तिलों का दान करें।
गंगा दशहरा पर शीतलता प्रदान करने वाली वस्तुओं का विशेष महत्व है। इसमें आप ठण्डे फल पंखा मटका आदि वस्तुएँ दान कर सकते हैं।

"श्री गंगा स्त्रोतं"

देवि! सुरेश्वरि! भगवति! गंगे त्रिभुवनतारिणि तरलतरंगे।
शंकरमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले॥१॥

भागीरथिसुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः
नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम्॥२॥

हरिपदपाद्यतरंगिणि गंगे हिमविधुमुक्ताधवलतरंगे।
दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम्॥३॥

तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम्।
मातर्गंगे त्वयि यो भक्तः किल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः॥४॥

पतितोद्धारिणि जाह्नवि गंगे खंडित गिरिवरमंडित भंगे।
भीष्मजननि हे मुनिवरकन्ये पतितनिवारिणि त्रिभुवन धन्ये॥५॥

कल्पलतामिव फलदां लोके प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके।
पारावारविहारिणि गंगे विमुखयुवति कृततरलापांगे॥६॥

तव चेन्मातः स्रोतः स्नातः पुनरपि जठरे सोऽपि न जातः।
नरकनिवारिणि जाह्नवि गंगे कलुषविनाशिनि महिमोत्तुंगे॥७॥

पुनरसदंगे पुण्यतरंगे जय जय जाह्नवि करुणापांगे।
इंद्रमुकुटमणिराजितचरणे सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये॥८॥

रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम्।
त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे॥९॥

अलकानंदे परमानंदे कुरु करुणामयि कातरवंद्ये।
तव तटनिकटे यस्य निवासः खलु वैकुंठे तस्य निवासः॥१०॥

वरमिह नीरे कमठो मीनः किं वा तीरे शरटः क्षीणः।
अथवाश्वपचो मलिनो दीनस्तव न हि दूरे नृपतिकुलीनः॥११॥

भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये।
गंगास्तवमिमममलं नित्यं पठति नरो यः स जयति सत्यम्॥१२॥

येषां हृदये गंगा भक्तिस्तेषां भवति सदा सुखमुक्तिः।
मधुराकंता पंझटिकाभिः परमानंदकलितललिताभिः॥१३॥

गंगास्तोत्रमिदं भवसारं वांछितफलदं विमलं सारम्।
शंकरसेवक शंकर रचितं पठति सुखीः तव इति च समाप्तः॥१४॥

"हर हर गंगे"

????  जय गंगा मैय्या

#संजय_गोविंद_खोचे