देश में पहली बार इस एक लोकसभा सीट पर तीन चरणों में होगा मतदान



चुनाव आयोग के आधिकारिक एलान के बाद जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग लोकसभा सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है। देश में संभवत: पहली बार किसी एक सीट पर तीन चरणों में मतदान होगा। अनंतनाग संसदीय सीट पर सुरक्षा कारणों से तीन चरणों में मतदान का फैसला लिया गया है।

मालूम हो कि पिछले दिनों चुनाव आयोग की एक टीम ने सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेने के लिए इस क्षेत्र का दौरा किया था। इसके बाद ही अनंतनाग लोकसभा सीट पर तीन चरणों में मतदान कराने का फैसला लिया गया है। दक्षिण कश्मीर का अनंतनाग पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का गृह क्षेत्र भी है, 2014 में वो यहां से सांसद बनी थीं। अनंतनाग आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है।

अनंतनाग सीट पर तीसरे, चौथे और पांचवें चरण यानी 23 अप्रैल, 29 अप्रैल और 6 मई को मतदान होगा। 23 अप्रैल को अनंतनाग सीट पर अनंतनाग जिले में, 29 अप्रैल को कुलगाम जिले में और 6 मई को शोपियां और पुलवामा में वोटिंग होगी।
जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की कुल 6 सीटें हैं, जिनपर क्रमश: 5 चरणों में वोटिंग होगी

11 अप्रैल : बारामूला, जम्मू
18 अप्रैल : श्रीनगर, उधमपुर

23 अप्रैल : अनंतनाग (अनंतनाग जिले में वोटिंग)
29 अप्रैल : अनंतनाग ( कुलगाम जिले में वोटिंग)
6 मई : लद्दाख, अनंतनाग ( शोपियां जिले में वोटिंग)

जम्मू-कश्मीर में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी कराया जाना था लेकिन सुरक्षा कारणों से इसे टाल दिया गया। इस फैसले के बाद नेशनल कान्फ्रेंस(एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने केंद्र की आलोचना की।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं एनसी के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान, आतंकवादियों और अलगाववादियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। वहीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर में केवल लोकसभा चुनाव कराने का फैसला भारत सरकार की कुटिल सोच है। जनता को सरकार नहीं चुनने देना लोकतंत्र के सिद्धांत के खिलाफ है।

कुमार ने कहा कि राजनीतिक पार्टीयों द्वारा लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव नहीं कराने के फैसले की आलोचना करने पर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) शालिंदर कुमार ने रविवार को कहा कि जो भी फैसला लिया गया है, उसमें हमें चुनाव आयोग के विवेक का सम्मान करना चाहिए।

राज्य की मौजूदा सुरक्षा स्थिति के कारण यहां साथ में चुनाव कराना संभव नहीं था। 14 फरवरी को पुलवामा में हुए हमले के बाद प्रशासन अलर्ट पर है और सीमावर्ती इलाकों समेत पूरे राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए सभी जरूरी उपाय किए गए हैं।

यह पूछे जाने पर कि जब दोनों चुनावों के लिए सुरक्षा की स्थिति ठीक नहीं थी तो चुनाव आयोग लोकसभा चुनाव कैसे कराने जा रहा है, कुमार ने कहा कि दोनों चुनाव साथ कराने का मतलब है कि आपको उम्मीदवारों के लिए अधिक सुरक्षा की जरूरत होगी।

कुमार ने कहा कि फैसला किया जा चुका है इसलिए अब क्यों और क्या से कुछ नहीं होने वाला है। एक ही चुनाव की घोषणा की गई है और हमें स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से एक ही चुनाव कराना चाहिए।