वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न मिला



नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी को देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें भारतीय राजनीति में उल्लेखनीय योगदान के लिए मिला है। प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक हैं जिन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश हित में फैसले लिए हैं। राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने इस पद की गरिमा बढ़ाने के साथ विदेशों में भारत का मान बढ़ाया। प्रणब मुखर्जी वास्तव में इस सम्मान के हकदार हैं। प्रणब मुखर्जी का लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ काम किया है। उनके लंबे राजनीतिक अनुभव का लाभ कांग्रेस के साथ देश को भी मिलता रहा है। राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने ऐसे कई फैसले और सुधार किए जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। राष्ट्रपति भवन पहुंचने के बाद प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के सम्मान में संबोधित किए जाने वाले ‘हिज एक्सीलेंसी’ टर्म को समाप्त किया। उन्होंने राज्य के राज्यपालों से भी अनुरोध किया कि वे इस शब्द का इस्तेमाल न होना सुनिश्चित करें। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के प्रोटोकॉल एवं सुरक्षा में जितना संभव हो सका कटौती की। लोगों को असुविधा से बचाने के लिए उन्होंने ज्यादातर कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में आयोजित करने का फैसला किया। राष्ट्रपति रहते हुए प्रणब मुखर्जी ने चार दया याचिकाओं को मंजूरी दी जबकि 30 दया याचिकाएं खारिज कीं। सबसे ज्यादा 45 दया याचिकाएं आर व्यंकटरमन ने खारिज की थीं। दया याचिकाएं अनुरोध करने में सबसे ज्यादा उदारता प्रतिभा पाटील ने दिखाई। उन्होंने केवल पांच दया याचिकाएं खारिज कीं।

राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी अध्यापक भी बने। इस पेशे को वह बहुत पसंद करते हैं। राष्ट्रपति रहते हुए वे दिल्ली के कई स्कूलों में गए और बच्चों को पढ़ाया। राजनीति में आने से पहले प्रणब मुखर्जी शिक्षक थे। यहां तक कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन के लिए बच्चों के लिए कक्षाएं आयोजित कराईं। इतिहास, राजनीति शास्त्र और कानून में मास्टर डिग्री रखने वाले प्रणब मुखर्जी ने प्रेसिडेंट्स इस्टेट स्थित राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय में 11वीं एवं 12वीं के करीब 80 छात्रों को पढ़ाया। उन्होंने बच्चों को भारतीय राजनीति के इतिहास से अवगत कराया और आतंकवाद के बढ़ते खतरों से उन्हें जागरूक किया।