दुनिया के सबसे ऊंचे स्टैच्यू के अंदर होगी लिफ्ट

नई दिल्ली। सरदार बल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाई गई दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue Of Unity) को दिग्गज निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने देश की इंजीनियरिंग स्किल के प्रति ट्रिब्यूट बताया है। न सिर्फ यह दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू है, बल्कि यह सबसे तेजी से तैयार होने वाली मूर्ति भी है। यह सिर्फ 33 महीने में बनकर तैयार हो गई, जबकि चीन के स्प्रिंग टेंपल बुद्ध (Spring Temple Buddha) को तैयार होने में पूरे 11 साल लगे थे। इसकी ऊंचाई भी सिर्फ 153 मीटर है, जबकि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की ऊंचाई 182 मीटर है। न्यूयॉर्क के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई भी इसकी महज आधी है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 2,989 करोड़ रुपए की लागत में बनकर तैयार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को इसका उद्घाटन करेंगे।

एक बड़ी पहेली जैसे जुड़े स्टैच्यू के टुकड़े
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मुकेश एस रावल ने बताया कि इस मूर्ति को बनाने वाले मूर्तिकार राम वी सुतार ने उन्हें सरदार पटेल की 30 फीट ऊंची कांस की मूर्ति बनाकर दी जिसके बाद उस मू्र्ति को स्कैन करके इलेक्ट्रॉनिक डाटा में बदला गया और 182 मीटर ऊंचे स्टैच्यू के लिए डाटा ग्रिड तैयार किया गया। फिर इस डाटा के आधार पर कांसे के खांचे तैयार किए गए। इस मूर्ति को यह रूप देने के लिए हजारों टुकड़ों को एक साथ जोड़ा गया ठीक किसी जिगसॉ पजल की तरह।

इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
इसे बनाने में 1,80,000 क्युबिक मीटर सीमेंट कंक्रीट, 18500 टन स्टील मजबूती देने के लिए और 6500 टन स्टील स्ट्रक्चर्ड स्टील का इस्तेमाल हुआ। 1700 टन कांसा आैर 1850 टन कांसे के आवरण भी इसमें लगे। सबसे बड़ी चुनौती थी इस मूर्ति में सरदार पटेल को जीवंत रूप में दर्शाना था। सरदार पटेल की स्थिर नहीं बल्कि चलती हुई मुद्रा में स्टैच्यू बनाया गया है, लिहाजा दोनों पैरों के बीच में दूरी बनाके इतनी बड़ी मूर्ति तैयार करना आसान नहीं था। यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा। यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है।

7000 टन सीमेंट और 85 फीसदी तांबे से बनकर तैयार हुआ दुनिया का सबसे लंबा ‘Statue Of Unity’
गुजरात के अहमदाबाद में 182 मीटर ऊंचा विश्व का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनकर तैयार हो गया है। इसे मात्र 42 महीनों में 7000 टन सीमेंट 22500 टन स्टील के इस्तेमाल से बनाया गया। सरदार पटेल के इस स्टैच्यू में 1700 मीट्रिक टन तांबे का प्रयोग किया गया है। इसकी खास बात ये है कि इसमें 6.5 तीव्रता काे भूकंप को सहने की क्षमता है। इसके साथ ही यह 220 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को भी सहन कर सकता है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue Of Unity) के बाद चीन में बनी बुद्ध प्रतिमा का नंबर आता है। जिसकी लंबाई 128 मीटर है। यह स्टैच्यू पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर 2018 को स्टैच्यू का उद्धाटन करेंगे।

लिफ्ट के जरिए पर्यटक देख पाएंगे सरदार पटेल के स्टैच्यू को
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जो कि 19700 वर्ग किलोमीटर में फैली एक परियोजना का हिस्सा था। इसमें करीब 17 किलोमीटर लंबी फूलों की घाटी भी शामिल है। स्टैच्यू को देखने के लिए लिफ्ट भी लगाई गई है। पर्यटक लिफ्त के जरिए सरदार पटेल के दिल तक पहुंच सकते हैं। इसके साथ ही 153 मीटर लंबी गैलेरी के जरिए लगभग 200 लोग एक साथ इस स्टैच्यू को देख सकते हैं। इस स्टैच्यू को 4 धातुओं से बनाया गया है जो कि इसे जंग से बचाने में मदद करेगा।

स्टैच्यू को हू-ब-हू सरदार पटेल का लुक देना था बड़ी चुनौती
इस स्टैच्यू में 85 फीसदी ताबें का इस्तेमाल किया गया है। इस स्टैच्यू को हू-ब-हू सरदार पटेल का लुक देने के लिए अमेरिका से लेकर चीन तक के शिल्पकारों ने खूब मशक्कत की। अमेरिकी आर्किटेक्ट माइकल ग्रेस और टनल एसोसिएट ने भारत भर में इस प्रोजेक्ट पर शोध करने के बाद स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का फाइनल मॉडल तैयार किया। इस स्टैच्यू के निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है।