आरएसएस प्रमुख श्री मोहन भागवत ने गुरुवार को दशहरा पर्व के मौके पर भाषण में लोगों से आह्वान किया कि वे ‘देश तोड़ने’ वालों के खिलाफ मतदान करें. उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों से चुनावों के दौरान 100 फीसदी मतदान कराने और ‘राष्ट्रीय अखंडता’ के लिए काम करने वालों को वोट देने की अपील की. श्री भागवत का यह बयान काफी अहम है क्योंकि जल्द ही पांच राज्यों के विधानसभा और अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं और इनके पहले उनका यह आखिरी भाषण है. भागवत का दशहरा भाषण संघ कार्यकर्ताओं के लिए नीति दस्तावेज होता है. नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय पर भागवत ने कहा, चुनाव नजदीक आ रहे हैं. एक तरीके से इसके जरिए जब हम वोट डालते हैं तो एक दिन के लिए राजा बनते हैं. लेकिन हम यह भी जानते हैं कि चुनाव के उस दिन हम जो निर्णय लेते हैं, उससे कभी-कभी हमारी पूरी जिंदगी पर असर पड़ता है. मतदाताओं को राष्ट्रहित को सबसे ऊपर रखते हुए जाति, धर्म, संप्रदाय और भाषा आदि भावनाओं से ऊपर उठकर वोट देना होगा.
श्री भागवत ने मतदाताओं से उस पार्टी को वोट डालने को कहा जो ‘भारत को जानती हो और जिसे भारत जानता हो. उन्होंने कहा, हमें देखना होगा कि भारत के लिए कौन श्रेष्ठ है. कौन है जो भारत के अखंड एकात्मीयता के लिए काम करेगा और कौन है जो स्वार्थ के लिए भारत के टुकड़े करने से भी पीछे नहीं हटेगा. संघ प्रमुख ने कहा चुनाव आयोग भी ऐसी ही सिफारिश करता है. भागवत ने संघ कार्यकर्ताओं से कहा, ऐसा करने के लिए स्वयंसेवकों को भी बढ़-चढ़कर प्रयास करना होगा. राष्ट्रीय हितों के लिए स्वयंसेवक ऐसे प्रयास करते रहते हैं. वह इस बार भी ऐसा ही करेंगे. श्री भागवत ने मतदाताओं को ईवीएम पर नोटा बटन दबाने पर भी चेताया. उन्होंने कहा, ‘किसी भी पार्टी में सारे गुण नहीं होते हैं. राष्ट्रीय हित में काम करने के लिए 100 प्रतिशत पारदर्शी होना चाहिए. इसलिए जो श्रेष्ठ विकल्प हो उसे चुनना चाहिए. यदि आप नोटा का विकल्प चुनते हैं तो वह उस पार्टी के पक्ष में जाएगा तो राष्ट्रहित के खिलाफ है. इसलिए नोटा को चुनना सबसे खराब को चुनने जैसा है. इसलिए इस तरह का आत्मघाती कदम न उठाएं.