देश में स्‍थापित किए जा रहे हैं 20 भ्रूण हस्‍तांतरण प्रौद्योगिकी केंद्र


केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने उर्लिकंचन, पुणे स्थित बैफ में भ्रूण हस्‍तांतरण प्रौद्योगिकी केंद्र के शिलान्यास समारोह और पुणे स्थित वेम्निकोम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत आयोजित पोषक अनाज पर राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित किया।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने भारतीय कृषि इंडस्ट्रीज फाउंडेशन (बैफ), पुणे में भ्रूण हस्‍तांतरण प्रौद्योगिकी केंद्र के शिलान्यास समारोह को सम्बोधित करते हुए बताया कि भ्रूण हस्‍तांतरण प्रौद्योगिकी केंद्र योजना के अंतर्गत देश में 20 भ्रूण हस्‍तांतरण प्रौद्योगिकी केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। उन्होंने बताया कि अब तक 19 केंद्रों के प्रस्ताव को स्वीकृत किया जा चुका है। इन केन्द्रों में 3 हजार देशी नस्लों के उच्च आनुवांशिक क्षमता वाले सांड तैयार किए जा रहे हैं। इनमें से दो केन्द्रों की स्थापना महाराष्ट्र के नागपुर एवं पुणे में किया जाना तय किया गया था जिसके अंतर्गत पुणे में इसका शिलान्यास किया जा रहा हैl उन्होंने बताया कि देशी नस्लों के उच्च आनुवांशिक क्षमता वाले सांडों के वीर्य के उत्पादन के लिए काफी मांग है। इसके साथ ही कुछ नस्लों की संख्या काफी कम हो गयी है। ऐसे में उत्‍पादन बढ़ाने और नस्ल सुधार में भ्रूण हस्‍तांतरण प्रौद्योगिकी बेहद कारगर साबित हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए बैफ, उर्लिकंचन में एक ऐसे ही केंद्र की स्थापना की जा रही है। केंद्र की स्थापना के लिए 5.07 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इस केंद्र में उच्च अनुवांशिक क्षमता के गिर, साहिवाल, लाल कंधारी ,डांगी, देओनी और गओलाओ के सांड तैयार किए जाएंगे।

कृषि मंत्री ने कहा कि पशुपालकों के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान हेतु कृषि एवं डेयरी व्यवसाय एक दूसरे के पूरक हैं। इसके लिए उत्तम नस्ल के पशुधन आवश्यक है, जिससे कि उत्पादन बढ़ाया जा सके। इसके मद्देनजर उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत लिंग चयनित वीर्य उत्पादन हेतु 10 वीर्य केन्द्रों को चिन्हित किया जा चुका है। दो केन्द्रों का प्रस्ताव उत्तराखंड, महाराष्ट्र के लिए भी स्वीकृत किया गया है जिसमें से उत्तराखंड के ऋषिकेश में लिंग चयनित वीर्य केंद्र का शिलान्यास जून 2018 में किया जा चुका है। वहीं, देशी नस्लों के जीनोमिक चयन हेतु इंडसचिप को विकसित किया गया है। इसके साथ ही 6000 पशुओं की इंडसचिप के उपयोग से जीनोमिक चयन के लिए पहचान की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अंतर्गत वर्तमान सरकार द्वारा मार्च, 2018 तक 29 राज्यों से आये प्रस्तावों के लिए 1600 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं जि‍नमें से 686 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। 20 गोकुल ग्राम इसी योजना के अंतर्गत स्थापित किये जा रहे हैं। इसके अलावा पशु संजीवनी घटक के अंतर्गत 9 करोड़ दुधारू पशुओं की पहचान यूआईडी द्वारा की जा रही है। माननीय कृषि मंत्री ने कृषि एवं पशुपालन विभाग द्वारा ग्रामीणों के दरवाजे पर लाभकारी स्व रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए बैफ के प्रयासों की सराहना करते हुए भ्रूण हस्‍तांतरण प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी बैफ द्वारा उत्कृष्ट कार्य करते हुए वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण योगदान देने की आशा व्यक्त की। पुणे में ही स्थित वेम्निकोम में आयोजित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत पोषक अनाज उपमिशन पर राष्ट्रीय कार्यशाला के उदघाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने कहा कि गेहूं, धान, मक्का आदि की अपेक्षा पोषक अनाजों (ज्वार, बाजरा, रागी व अन्य छोटे मिलेट) का विशेष महत्व है क्योंकि ये अनाज स्वास्थ्य एवं पोषण की दृष्टि से अति उत्तम हैं। पोषक अनाजों का उपयोग खाद्यान्न, पशुओं के चारे एवं दाने तथा ईंधन के रूप में होता है।