प्रधानमंत्री ने पुनरुत्थान के लिए शिक्षा पर अकादमिक नेतृत्व से संबंधित सम्मेलन को संबोधित किया


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में पुनरुत्थान के लिए शिक्षा पर अकादमिक नेतृत्व से संबंधित एक सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जब कोई पुनरुत्थान या पुनर्जागरण की बात सोचता है तो पहली छवि जो उसके मस्तिष्क में आती है, वह स्वामी विवेकानंद की होती है जिन्होंने विश्व के समक्ष भारतीय सोच की ताकत को प्रदर्शित किया। प्रधानमंत्री ने शिक्षा के तत्वों के रूप में आत्म निर्भरता, चरित्र निर्माण एवं मानवीय मूल्यों पर स्वामी विवेकानंद द्वारा बल दिए जाने का स्मरण किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज नवाचार शिक्षा का एक अन्य अहम तत्व बन गया है। प्राचीन ग्रंथों, वेदों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम बिना ज्ञान के अपने समाज, अपने देश यहां तक कि अपने जीवन की भी कल्पना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि तक्षशिला, नालंदा एवं विक्रमशिला जैसे हमारे प्राचीन विश्वविद्यालयों ने ज्ञान के अतिरिक्त नवाचार को भी महत्व दिया था। प्रधानमंत्री ने शिक्षा पर बाबा भीमराव अम्बेडकर, दीनदयाल उपाध्याय एवं डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों का भी स्मरण किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज कोई देश या व्यक्ति एकाकीपन में नहीं रह सकता। उन्होंने ‘वैश्विक नागरिक‘ या ‘वैश्विक ग्राम‘ के लिहाज से सोचने के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जो चुनौतियां आज हमारे सामने हैं, उनका समाधान ढूंढने के लिए हमारे विश्वविद्यालयांे या हमारे महाविद्यालयों का लाभ उठाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें ‘संस्थानों को नवाचार एवं विकास को बढ़ावा देने वाली स्थितियों के साथ आपस में जोड़ना‘ चाहिए। उन्होंने छात्रों से अपने कक्षाओं के ज्ञान को देश की आकांक्षा के साथ जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं का भी उल्लेख किया जिन्हें छात्रों को नवाचार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित किया गया है। उन्होंने शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार लाने के लिए राइज -अवसंरचना एवं शैक्षणिक प्रणालियों के पुनरुद्धार-कार्यक्रम का उल्लेख किया। उन्होंने उच्चतर शिक्षा के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने समाज के लिए अच्छे शिक्षकों के निर्माण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि विद्वान और छात्र डिजिटल साक्षरता का प्रसार करने एवं सरकारी कार्यक्रमों के लिए अधिक जागरुकता के सृजन की जिम्मेदारी ले सकते हैं जिनसे जीवन की स्थितियों में सुधार आ सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं ने ‘ब्रांड इंडिया‘ को एक वैश्विक पहचान दी है। उन्होंने स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया एवं स्किल इंडिया जैसी योजनाओं का उल्लेख किया जिनका उद्वेश्य युवा प्रतिभा का विकास करना है।