भीमा कोरेगांव : पांचों आरोपियों की नजरबंदी बरकरार


नई दिल्‍ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भीमा कोरेगांव केस में सुनवाई करते हुए मामले में गिरफ्तार किए गए पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजरबंदी को 4 सप्‍ताह के लिए बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि आरोपी खुद जांच एजेंसी नहीं चुन सकते हैं. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने यह सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपियों को राहत चाहिए तो उन्‍हें ट्रायल कोर्ट जाना होगा. न्‍यायालय ने मामले की एफआईआर रद्द करने से भी मना कर दिया. साथ ही पुणे पुलिस को मामले की जांच आगे बढ़ाने को कहा है. बता दें कि पांचों आरोपी वरवरा राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा 29 अगस्‍त से अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं.

भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और रांची में एक साथ छपेमारी कर घंटों तलाशी ली थी और फिर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुणे पुलिस के मुताबिक सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है. जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं. रांची से फादर स्टेन स्वामी, हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव,फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख की भी गिरफ्तारी भी हुई है.