भोपाल। राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने बुधवार को राजगढ़ जिले में आयोजित अभ्युदय संवाद में कहा कि रोगी की सेवा सर्वोपरि है, क्योंकि मानव सेवा इसमें समाहित है। जिला प्रशासन, रेडक्रास, अशासकीय-संगठन, स्वास्थ्य और क्षय-रोग से जुड़े पदाधिकारियों की बैठक में राज्यपाल ने कहा कि कुपोषित बच्चों को गोद लेकर उनकी देख-रेख, उपचार और भोजन आदि कार्य सराहनीय हैं। बैठक में सुश्री आभा आनंद सहायक प्राध्यापक ने 10 वर्षीय करीना को और डॉ. बासंती मोघे प्राध्यापक ने कु. वेदिका को गोद लिया।
ग्रामीण क्षेत्र की शाला त्यागी करीब 150 बालिकाओं के शिक्षा और देख-रेख कर रहे शा. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में भ्रमण के दौरान राज्यपाल श्रीमती पटेल ने बालिकाओं से उनकी शिक्षा, खान-पान, रहन-सहन और परिवार के संबंध में जानकारी लेते हुए समझाइश दी कि शिक्षा के साथ उन सभी कार्यो में निपुण होना है, जो हमारे जीवन के लिये जरूरी हैं।
राज्यपाल ने निर्देश दिये कि योजनाओं का क्रियान्वयन परिणाममूलक होना चाहिए। केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ देने के एक साल पश्चात यह मूल्यांकन होना चाहिए कि हितग्राही के सामाजिक और पारिवारिक स्तर में क्या बदलाव आया। उन्होंने कहा कि यह और भी अच्छी स्थिति होगी कि हम गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे परिवारों को इस दर्जे से बाहर ला सकें।
अचानक शिशु वार्ड पहुँचीं राज्यपाल
राज्यपाल ने पीड़ित महिलाओं की देख-रेख और इनके संरक्षण के लिये जिला चिकित्सालय में ”वन स्टाप सेन्टर” (सखी) का शुभारंभ किया। राज्यपाल ने जैसे ही अस्पताल परिसर में शिशु वार्ड का बोर्ड देखा, अपनी गाड़ी रूकवाकर शिशु वार्ड में पहुँचीं। वार्ड में भर्ती सभी बच्चों के अभिभावक, डाक्टर एवं नर्स से बच्चों की बीमारी के संबंध में विस्तार से जानकारी ली और बच्चों को फल वितरित करते हुए चिकित्सकों को बच्चों के समुचित इलाज के निर्देश भी दिये। इसी भ्रमण में राज्यपाल ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में नारियोदय केन्द्र का शुभारंभ किया।