पार्टियां तीन बार मीडिया के जरिए प्रचार करें कि उनका उम्मीदवार दागी है: सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में आरोपी नेताओं के दोषी ठहराए जाने से पहले उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, इसके लिए एक गाइडलाइन जारी की। बेंच ने कहा- राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामांकन के बाद कम से कम तीन बार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए उनके आपराधिक रिकॉर्ड का प्रचार करें।

कोर्ट ने कहा
राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी पार्टी की वेबसाइट पर डालें। बेंच ने कहा कि अब इस पर कानून बनाने का वक्त आ गया है ताकि आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों को सदन में जाने से रोका जा सके।

एक अन्य याचिका में विधायकों और सांसदों के वकालत करने पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया है। कहा कि सांसद और विधायक फुल टाइम सैलरी पाने वाले कर्मचारी नहीं हैं। इसी वजह से बार काउंसिल ने भी उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।

एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के मुताबिक, 2014 में चुने गए सांसदों में से 186 यानी 34% सांसदों पर आपराधिक केस दर्ज था। इसके लिए एडीआर ने 543 में से 541 सांसदों के एफिडेविट का एनालिसिस किया था।

एडीआर की रिपोर्ट में बताया गया कि 2004 से ऐसे सांसदों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। 2004 में 24% और 2009 में 30% सांसद ऐसे थे जिन पर आपराधिक मामले दर्ज थे।