कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश करेगी, 25 सीटों पर उपचुनाव होंगे


सरकार बनाने के बाद भाजपा को बहुमत साबित करना होगा
विधानसभा में 230 सीटें, भाजपा के पास 106 विधायक

भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक साल तीन महीने तक सरकार चलाने के बाद शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे। लेकिन कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। उनके इस्तीफे के साथ ही भाजपा के लिए सरकार बनाने का दावा पेश करने का रास्ता साफ हो गया है। 5 पॉइंट में जानिए, मध्यप्रदेश में अब आगे क्या होेने वाला है?

1. भाजपा सरकार बनाने की तैयारी करेगी
कमलनाथ के इस्तीफे के बाद अब दो स्थितियां होंगी। पहली- राज्यपाल मौजूदा स्थिति में सबसे बड़े दल भाजपा से सरकार बनाने का दावा पेश करने को कह सकते हैं। भाजपा इसे स्वीकार कर सरकार बना सकती है। दूसरी- राज्यपाल के कहने से पहले ही भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। वह विधायकों की दोबारा परेड करा सकती है और समर्थन पत्र सौंप सकती है।

2. छह महीने के अंदर 25 सीटों पर उपचुनाव होंगे
विधानसभा में 230 सीटें हैं। दो विधायकों के निधन के बाद पहले से 2 सीटें खाली हैं। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे। इनमें 6 मंत्री भी थे। स्पीकर एनपी प्रजापति इन सभी के इस्तीफे मंजूर कर चुके हैं। शुक्रवार सुबह स्पीकर ने कहा, ‘‘भाजपा विधायक शरद कोल ने भी इस्तीफा दिया था, जिसे मंजूर किया जा चुका है।’’ इस तरह कुल 25 सीटें अब खाली हैं। इन पर 6 महीने में चुनाव होने हैं।

3. उपचुनाव में भाजपा को कम से कम 10 सीटें जीतनी होंगी

भाजपा के पास 106 विधायक हैं। 4 निर्दलीय उसके समर्थन में आए तो भाजपा+ की संख्या 110 हो जाती है। 25 सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए 6 और सीटों की जरूरत होगी। अगर निर्दलीयों ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव में पार्टी को 10 सीटें जीतनी होंगी। कांग्रेस को निर्दलियों के साथ रहने पर उपचुनाव में 17 और निर्दलियों के पाला बदलने पर 21 सीटें जीतनी होंगी। अगर निर्दलीय के साथ-साथ सपा-बसपा ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया तो उसे सत्ता में वापसी के लिए सभी 24 सीटें जीतनी होंगी। कांग्रेस के 22 बागी विधायक जिन सीटों से जीते थे, उनमें से 20 पर भाजपा दूसरे नंबर पर थी। 11 सीटों पर जीत-हार का अंतर 10% से भी कम था। ये 22 बागी विधायक मध्य प्रदेश के 14 जिलों से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इनमें से 15 सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल से विधायक बने थे।