देश के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करती मोदी सरकार



इस देश में जब भी मुद्दों की बात होगी तो स्वास्थ्य का मुद्दा सदैव उन बड़े मुद्दों की लिस्ट में ऊपर होगा जिसके आधार पर चुनाव लड़े जाते हैं। देश के अंदर स्वास्थ्य सुविधाओं को ले कर हमेशा से ही बहस होती रही है। हम यदि चीन के साथ अपनी तुलना करेंगे तो पाएंगे कि समय के साथ चीन ने हमसे ज्यादा सिर्फ तरक्की ही नहीं की है अपितु स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में चीन ने भारत से बेहतर प्रदर्शन भी किया है। 70 के दशक की यदि बात करें तो भारत और चीन लगभग एक समान गति से विकास कर रहे थें, परंतु चीन ने अपने देश में सुधार की शुरुआत एक दशक पहले से ही कर दी थी। ध्यान रहे कि एक दशक चीन ने सिर्फ अपने नीतिगत सुधारों में दिए जिसका असर अगले एक दशक में देखने को मिला था। इसने चीन को तुलनात्मक पहलू से बेहतर नतीजे दिए और आर्थिक रूप से भारत और चीन में एक बड़ा अंतर बनता चला गया जो समय के साथ और अधिक बढ़ता गया। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन में घरेलू बचत जीडीपी का 36% है जबकि भारत में यह 23% पर है। इसके साथ ही चीन ने अपने यहां भारत के $2 बिलियन विदेशी निवेश की जगह $40 बिलियन विदेशी निवेश को आकर्षित किया जिसने उसकी अर्थव्यवस्था को एक नई मजबूती दी। यहाँ भी ध्यान देने वाली बात यह है चीन ने अपने यहाँ चीजों को बेहतर करने पर ज़्यादा ध्यान दिया। विशेष आर्थिक ज़ोन और श्रम सुधार कानूनों में सुधार ने चीन को एक और मज़बूत आयाम दिया। चीन का स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारी व्यय भारत की तुलना में बहुत ज़्यादा है। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं में होने वाला व्यय तुलनात्मक रूप से काफी कम है। स्वास्थ्य सेवासुलभ होने के मामले में भारत दुनिया के 195 देशों में 154वीं पायदान पर हैं। यहां तक कि यह बांग्लादेश, नेपाल, घाना और साइबेरिया से भी बदतर हालत में है। स्वास्थ्य सेवा पर भारत सरकार का खर्च (जीडीपी का 1.15 फीसदी) दुनिया के सबसे कम खर्चों में से एक है। देश में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे और इस क्षेत्र में काम करने वालों की बेतहाशा कमी है। दरअसल, बढ़ती बीमारियों और नाकाफी स्वास्थ्य सुविधाओं से समस्या अधिक गंभीर हुई है। भारत में स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च सबसे कम है। स्वास्थ्य सेवा उपलब्धता के मामले में प्रति डॉलर प्रति व्यक्ति सरकारी खर्च की बात की जाए, तो भारत में यह 1995 में 17 डॉलर था जो 2013 में 69 और 2017 में 58 डॉलर प्रति व्यक्ति सालाना हो गया। दूसरे देशो के साथ तुलना की जाए तो हम इस मामले में बेहद पीछे खड़े हैं। मलेशिया में यह खर्च 418 डॉलर है, जबकि हमारे प्रतिद्वंद्वी चीन में 322, थाइलैंड में 247, फिलीपींस में 115, इंडोनेशिया में 108, नाइजीरिया में 93 श्रीलंका में 88 और पाकिस्तान में 34 डॉलर है। स्वास्थ्य के सेक्टर में जीडीपी के प्रतिशत के तौर पर अगर सरकारी खर्च के आंकड़े देखे जाएं, तो वहां भी हम कहीं नहीं ठहरते। भारत में 1995 में यह 4.06 फीसदी था जो 2013 में घटकर 3.97 फीसदी हुआ और 2017 में और भी घटता हुआ 1.15 फीसदी हो गया। दूसरे देशों से अगर तुलना की जाए तो अमेरिका में यह जीडीपी का 18 फीसदी, मलयेशिया में 4.2 फीसदी, चीन में 6, थाइलैंड में 4.1 फीसदी, फिलीपींस में 4.7 फीसदी, इंडोनेशिया में 2.8, नाइजीरिया में 3.7 श्रीलंका में 3.5 और पाकिस्तान में 2.6 फीसदी है।

जब 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यकाल सम्हाला तब उनको स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत के निरंतर खराब प्रदर्शन से दो-चार होना पड़ा। उनको यह पहले ही पता था कि भारत की तरक्की तभी सुनिश्चित की जा सकती है जब स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किया जाए। इसके साथ ही उनको यह भी पता था कि यह कार्य एक-दो साल में संभव नहीं है। इसके लिए एक बड़ी नींव रखने की आवश्यकता है क्योंकि चीन को भी अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने में एक दशक से ज़्यादा का समय लग गया था। यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि भारत 2022 तक चीन की जनसंख्या को भी पार कर जाएगा और यह प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक और बड़ी चुनौती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की है। आइए हम जानते हैं कि इन परिस्थितियों के बीच मोदी सरकार ने कौन से ठोस कदम उठाए हैं जो भारत को स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर परिणाम देंगे।

प्रधानमंत्री मोदी की सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए उठाये गए कदमों में से कुछ कदम हैं-

1. आयुष्मान भारत योजना
2. पोषण (POSHAN) अभियान
3. सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं (प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसी कार्यक्रम और AMRIT)
4. मिशन इंद्रधनुष
5. स्वच्छ भारत अभियान
6. गन्दगी से देश को मुक्ति दिलाने के लिए साहसिक प्रयास

1. सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए आयुष्मान भारत योजना-
साल 2016 में यह बात सामने आई कि स्वास्थ्य क्षेत्रों में खर्चे के चलते हर साल करीब 5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे आ जाते हैं। यह उन परिवारों के लिए किसी वज्रपात से कम नहीं होता। शायद यही वजह रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति यानी एनएचपी के बाद 2018 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना यानी एनएचपीएस का आगाज किया। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए आयुष्मान भारत की योजना विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसको प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना या ‘मोदी केअर’ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवरेज दिया जाएगा। इससे करीब 10.74 करोड़ से अधिक परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा मिलेगी। इसके साथ ही उनको माध्यमिक और तृतीयक अस्पताल में भर्ती होने पर यह कवरेज मिलेगी। सभी सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में सर्जरी, उपचार, दवा लागत और निदान को कवर करने वाले से 1350 चिकित्सा पैकेज के तहत उपचार मिलेगा। अब तक 12.82 लाख लाभार्थी ई-कार्ड्स जारी किए गए। इसके साथ ही 4 लाख से अधिक लोगों ने इसके द्वारा इलाज करवाया है। भारत में हेल्थकेयर सुधारों के इतिहास में ये दो कदम क्रांतिकारी हैं। भारत जैसे निम्न एवं मध्यम आय वाले देश की जटिल हेल्थकेयर चुनौतियों को देखते हुए यह सटीक समाधान ही कहा जाएगा। एक ओर देश में 50 करोड़ की आबादी के लिए एनएचपीएस की योजना है वहीं डेढ़ लाख स्वास्थ्य एवं देखभाल केंद्र इसमें द्वारपाल की भूमिका निभाएंगे। इसके साथ ही सरकार टीकाकरण कार्यक्रम, किफायती फार्मेसी शृंखला के विस्तार, राष्ट्रीय परीक्षण कार्यक्रम, राष्ट्रीय पोषण मिशन और तपेदिक यानी टीबी से जूझ रहे मरीजों को पोषण और अन्य सुविधाएं प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। स्वास्थ्य मंत्रालय एक टोल फ्री हेल्पलाइन की भी योजना बना रहा है जिसमें लोग कॉल के जरिये सामान्य बीमारियों में दवा एवं अन्य सलाह ले सकते हैं। इसमें सामान्य मानकों के आधार पर ओवर द काउंटर यानी ओटीसी दवाओं के मशविरे का प्रावधान होगा।इसके साथ ही अलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन्स बिल भी पास कराया गया। इसके अंतर्गत अलाइड एंड हेल्थकेयर कॉउंसलिंग ऑफ इंडिया व सम्बंधित राज्य में स्टेट अलाइड एंड हेल्थकेयर काउन्सलिंग की स्थापना की गई। इसमें स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े 53 पेशों सहित 15 प्रमुख प्रोफेशनल श्रेणियां होंगी। अलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन्स के लिए ये परिषद मानक निर्माण व नियामक की भूमिका निभाएंगे। इससे मौजूदा 8-9 लाख अलाइड एंड हेल्थकेयर संबंधित पेशेवरों को सीधा लाभ होगा। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कार्यबल की वैश्विक माँग वर्ष 2030 तक लगभग 15 मिलियन रहने का अनुमान WHO द्वारा जताया गया है। यह उस माँग की पूर्ति के लिए एक साहसिक कदम है।

2. माँ और शिशु का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की तरफ कदम-
3 अक्टूबर 2018 तक इसके अंतर्गत 12,900 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 1.3 करोड़ से अधिक प्रसवपूर्व चेक-अप किये गए हैं। करीब 80.63 लाख गर्भवती महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। हर साल 50 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं को ₹6,000 सालाना की आर्थिक मदद मिलेगी। 6.5 लाख से अधिक हाई रिस्क वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान की गई है। इसके साथ ही भारत सरकार ने POSHAN (पोषण) अभियान के तहत शिशुओं के उचित पोषण को सुनिश्चित किया है। इसमें बहु-मॉडल हस्तक्षेपों के माध्यम से कुपोषण से निपटने के लिए अपनी तरह की नई पहल का शुभारंभ हुआ है। अभिसरण, टेक्नोलॉजी के उपयोग और लक्षित दृष्टिकोण के माध्यम से कुपोषण को कम करने का लक्ष्य भी सरकार ने रखा है।

3. गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करना-
1084 आवश्यक दवाइयां मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के तहत लायी गयी हैं। इससे मरीजों को ₹10,000 करोड़ से अधिक का लाभ हुआ है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों पर सस्ती दवाइयां उपलब्ध हो चुकी हैं जिनमें से 4300 से अधिक स्टोर से जनसामान्य को 50%-90% से अधिक की बचत हुई है। AMRIT फार्मेसियों में कैंसर और हृदय संबंधित बीमारियों के लिए दवाइयां बाजार से 60% से 90% कम कीमतों पर मिलती हैं। इसमें यह भी ध्यान देने वाली बात है कि हृदय संबंधी स्टेंट और घुटने के इम्प्लांट्स की कीमतें 50%-70% तक घट गई हैं। गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के अंतर्गत गरीब मरीजों की निशुल्क डायलिसिस तथा अन्य सभी मरीजों को सब्सिडी युक्त डायलिसिस उपलब्ध कराया गया है। इसमें लगभग 2.5 लाख रोगी इसका लाभ 3 अक्टूबर 2018 तक उठा चुके हैं। इसमें से 497 डायलिसिस इकाइयां परिचालित किये गए हैं। अब तक लगभग 25 लाख डायलिसिस किये जा चुके हैं।

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सरकार ने किफायती दवाओं और विश्वसनीय इम्प्लांट्स फॉर ट्रीटमेंट (एएमआरआईटी) कार्यक्रम के तहत 83 आउटलेट भी खोले हैं, जो तीन साल में करीब 18 लाख मरीजों की सेवा करते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, एएमआरआईटी कार्यक्रम ने रोगियों के 103.55 करोड़ रुपये बचाए हैं, 175.23 करोड़ रुपये की दवाइयां और प्रत्यारोपण के समान 71.67 करोड़ रुपये से कम में बेचे गए हैं। शायद स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सरकार के लिए सबसे बड़ी उपलब्धियां 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और चिकित्सा उपकरण नियम के रूप में आईं। इन दोनों नीतिगत हस्तक्षेप के द्वारा सरकार भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बदलने के लिए तैयार हैं जिससे सेवाओं की डिलीवरी अधिक किफायती और समावेशी हो गई है।

National Pharmaceutical Pricing Authority of India के अनुसार देश भर के मरीजों ने जेनरिक दवाइयों पर करीब ₹15,000 करोड़ रुपये बचाये हैं। इसके साथ ही हृदय में लगने वाले स्टेंट के सस्ते होने के बाद से करीब ₹8,000 करोड़ हृदय के मरीजों ने बचाये हैं।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति सामरिक भागीदारों के रूप में निजी क्षेत्र के साथ समग्र रूप से समस्याओं और समाधानों को देखती है। यह देखभाल की गुणवत्ता को बढ़ावा देना चाहता है। उभरती बीमारियों और प्रोत्साहन और निवारक स्वास्थ्य देखभाल में निवेश पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह नीति रोगी केंद्रित और गुणवत्ता संचालित है। यह स्वास्थ्य सुरक्षा और दवाओं और उपकरणों के लिए ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देता है। माध्यमिक और तृतीयक देखभाल स्तरों पर पहुंच और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए यह नीति सभी सार्वजनिक अस्पतालों में मुफ्त दवाओं, नि: शुल्क निदान और मुफ्त आपातकालीन देखभाल सेवाओं का प्रस्ताव देती है। बहुलवादी स्वास्थ्य देखभाल विरासत का लाभ उठाने के लिए यह नीति विभिन्न स्वास्थ्य प्रणालियों के मुख्यधारा की सिफारिश करती है। आयुष की क्षमता को मुख्यधारा में लाने के लिए यह नीति सार्वजनिक सुविधाओं में सह-स्थान के माध्यम से आयुष उपचार के लिए बेहतर पहुंच की परिकल्पना करती है।

4. मिशन इंद्रधनुष : रोगों का खात्मा, एक बार में एक डोज़-
मिशन इंद्रधनुष को 537 जिलों को कवर कर चार चरणों को पूरा किया गया है। 86.04 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा चुका है। 3.34 करोड़ बच्चों को टीके लगाए जा चुके हैं। दिसंबर 2015 के वैश्विक लक्ष्य से पहले भारत ने मई 2015 में मातृ और नवजात शिशुओं को होने वाले टेटनस रोग के खात्मे की पुष्टि की है। 2018 तक कुष्ठ रोग, 2020 तक चेचक और 2025 तक क्षय रोग को खत्म करने की कार्य योजना इसके अंतर्गत बनाई जा चुकी है। हेल्थकेयर सेक्टर के लिए, पिछले चार वर्षों में नागरिकों को बेहतर मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी का उपयोग करके गुणवत्ता वाले हेल्थकेयर सेवाओं तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाने पर अधिक ध्यान देने के साथ स्वास्थ्य देखभाल को और अधिक किफायती बनाने में मदद करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की लागत को कम करने के लिए नीति हस्तक्षेप; और स्वास्थ्य बीमा नेट के तहत अधिक लोगों को लाने के साथ ही प्रक्रिया के दौरान पूरे देश में लाखों मरीजों को लाभान्वित किया गया है। मोदी सरकार ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित करने के लिए सफलतापूर्वक काम किया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर योग प्रदर्शन ने दुनिया के ध्यान को आकर्षित किया जब इस तरह की घटना में भाग लेने वाले अधिकांश लोगों का रिकॉर्ड स्थापित किया गया। इस कार्यक्रम ने दो चीजें हासिल की – इसने भारत की छवि को दुनिया की अग्रणी शक्ति के रूप में मजबूत किया और अपनी जीवन शैली में बीमारियों से उत्पन्न गंभीर चुनौतियों से जूझ रहे देश में स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के सरकार के उद्देश्य को बढ़ावा दिया। किफायती स्वास्थ्य बीमा कवरेज सहित कई योजनाएं और जेनेरिक दवाओं की खुदरा बिक्री के लिए जन आशा योजना स्वास्थ्य देखभाल को और अधिक किफायती बनाने के लिए पिछले दो वर्षों में पेश की गई थी। अधिक पारदर्शिता, जागरूकता और जनता के लिए गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल की आसान पहुंच लाने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को डिजिटलाइज करने में मदद के लिए सरकार ने ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल और सरकारी अस्पताल सेवाओं के डिजिटलीकरण की शुरुआत की है। देश में सेवाओं के वितरण को प्रभावित करने वाले तकनीकी परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा ‘एनएचपी इंद्रधनुष’, ‘एनएचपी स्वस्थ भारत’ और ‘मेरा अस्पताल’ जैसे विभिन्न मोबाइल ऐप्स लॉन्च किए गए हैं। टीकाकरण कार्यक्रम और मिशन इंद्रधनुष करोड़ों बच्चों तक पहुंचने में सफल रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे पूरी तरह से टीकाकरण करवा रहे हैं। 2014 में 1 प्रतिशत की तुलना में कार्यक्रम के तहत कवरेज में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

https://www.financialexpress.com/opinion/vaccination-success-how-mission-indradhanush-upped-vaccine-coverage-growth-rate/1011525/

https://indianexpress.com/article/india/how-mission-indradhanush-vaccinated-over-2-55-crore-children-across-the-country-5014477/lite/?__twitter_impression=true

5. स्वच्छता के साथ ही जन सुरक्षा योजना से गरीबों का बीमा किया सुनिश्चित-
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत मात्र 12 रुपये प्रतिवर्ष देकर 13.98 करोड़ लोगों ने दुर्घटना बीमा करवाया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 330 रुपये प्रतिवर्ष दे कर 5.47 करोड़ परिवारों को जीवन बीमा का लाभ मिला है। असंगठित क्षेत्र के 1.11 करोड़ से अधिक कामगारों को अटल पेंशन योजना के तहत वित्तीय सुरक्षा प्राप्त हुई है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार बंगाल, बिहार और झारखंड कुछ ऐसे राज्य हैं जहाँ संक्रामक रोगों की संख्या सबसे ज़्यादा दर्ज की जाती है।

6. गन्दगी से देश को मुक्ति दिलाने के लिए साहसिक प्रयास-
गन्दगी से फैलने वाले इन रोगों को रोकने के लिए स्वच्छ भारत योजना के अंतर्गत करीब 5.08 लाख से ज़्यादा गांव और 25 से ज़्यादा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को खुले में शौच से मुक्त (ODF) घोषित किया गया है। साल 2014 मे सैनिटेशन कवरेज मात्र 38% थी जो अब अब बढ़कर 94% से अधिक है। इसके अंतर्गत करीब 9.17 करोड़ से अधिक शौचालय बनाये गए हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में सुविधाओं की यह मात्र शुरुआत है। इसने पूरे देश में स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को और बेहतर बनाने का कार्य किया है और लगातर कर रहा है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि अपने समकक्ष खड़े देशों में से हम यदि बेहतर प्रदर्शन करना चाहते हैं तो हमें दुगनी तेज़ी से कार्य करना होगा और इसी बात को प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने वक्तव्यों और भाषणों में बार-बार दोहराया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये जा रहे सुधारों की जो शुरुआत मोदी सरकार ने की है वो आने वाले समय में लगातार भारत को स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर सुधार के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा। इसके साथ ही यह चीन के साथ हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछड़ेपन को न केवल दूर करेगा अपितु भारत में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने में सहायता करेगा।

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