नितिन गडकरी का स्वच्छता मंत्र: आम के आम गुठलियों के दाम

केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यदि वेस्ट मैनेजमेंट में वैल्यू खोज लिया जाए तो देश में स्वच्छता का दशकों का लक्ष्य कुछ सालों में पूरा किया जा सकता है. गडकरी ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि तब होगी जब हम कूड़े को बेचने का काम कर सकें. कार्यक्रम में गडकरी ने कई ऐसी  योजनाओं के बारे में बताया जिन पर अगर अमल हों तो वे आम के आम गुठलियों के दाम सरीखी साबित हो सकती हैं. गडकरी ने कहा कि अगर वेस्ट में वैल्यू आ जाएगी तो दस साल का काम 3-4 साल में हो जाएगा. उन्होंने बताया कि सरकार की कई योजनाएं इस पर चल रही हैं. उन्होंने सफाईगीरी के कार्यक्रम में बायो-सीएनजी बनाने का आसान तरीका भी बताया.

टॉयलेट के पानी से कमाए 79 करोड़
गडकरी ने बताया कि 6 साल पहले उन्होंने तय किया कि नागपुर शहर में टॉयलेट का पानी रिसाइकिल कर महाराष्ट्र के बिजली बोर्ड को देने की बात की. उस समय लोग मेरी बात पर हंसते थे. लेकिन आज नागपुर महानगर पालिक को 79 करोड़ रॉयल्टी हर साल मिल रही है. अगर हम टॉयलेट का पानी बेच सकते हैं तो वेस्ट भी बेची जा सकती हैं.

इंडियन ऑयल देगा सालाना 90 करोड़
गडकरी ने कहा कि गंगा में अभी हम काफी प्रोजेक्ट कर रहे हैं. गंगा पर मथुरा में प्रोजेक्ट है. इसमें 80 एमएलडी इंडियन ऑयल गंदा पानी खरीदने वाला है. इसके एवज में 90 करोड़ रुपए रॉयल्टी हर साल मिलेगी.

पावर प्लांट में रिसाइकिल पानी का प्रयोग
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि गंगा के किनारे एनटीपीसी के 22 पावर प्रोजेक्ट हैं. इनमें 12 प्रोजेक्ट शुरू हैं. अच्छी बात ये है कि बिजली मंत्रालय ने ये नोटिफिकेशन निकाला है कि 50 किलोमीटर के अंदर अगर कोई पानी रिसाइकिल होकर मिलता है तो उसी पानी को प्रयोग करें.

पांच लाख करोड़ का चाहिए बजट
उन्होंने बताया कि रेलवे के बड़े जंक्शनों में भी ये पानी यूज हो सकता है. गडकरी ने कहा कि कानपुर में बेहद गंदा पानी है. वहां टेनरी से पानी बहुत गंदा हो रहा. वहां हमने 80 एमएलडी पानी को साफ किया है. गडकरी ने ऐसे प्रोजेक्ट गिनाते हुए कहा कि सात कानपुर में, 9 वाराणसी, 12 दिल्ली और 11 पटना में हैं. गडकरी ने कहा कि सिर्फ गंगा ही नहीं, यमुना में भी 40 प्रोजेक्ट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसमें बजट बड़ी समस्या है. अभी जो काम हुआ है वो सिर्फ 28 हजार करोड़ का हुआ है. इस काम के लिए पांच लाख करोड़ का बजट चाहिए.

प्लास्टिक-रबर की सड़क में निकाला फायदा
गडकरी ने वेस्ट टू वेल्थ के मंत्र में बताया कि कई योजनाएं इसी पर काम कर रही हैं. उन्होंने सड़क का उदाहरण दिया. उन्होंने बताया कि अब डामर रोड में 10 फीसदी वेल्ट प्लास्टिक और दस फीसदी वेस्ट रबर का इस्तेमाल करना मैनडेटरी किया गया है. हाईवे डामर के बनते हैं. गडकरी ने कहा कि अभी बाजार में प्लास्टिक 10-12 रुपये किलो और बिटुमिन का भाव है 45 रुपये किलो. महिला बचत गट अगर 25 रुपये किलो के भाव से वेस्ट प्लास्टिक और वेस्ट रबर खरीदे और 30 के भाव से बचत गट को दे दे और वे अगर 35 के भाव से कॉन्ट्रैक्टर को दे दें तो भी 45 रुपये किलो वाले डामर की तुलना में 10 रुपये प्रति किलो का फायदा होगा. और इससे कोई वेस्ट को फेंकेगा भी नहीं क्योंकि कचरे में भी पैसा बन रहा है.

सड़कों को 15 साल के मेंटेनेंस पर दिया
गडकरी ने कहा कि हरि्दवार, वाराणसी, मथुरा, पटना में हमने सड़क में प्राइवेट निवेश लाए हैं. इसमें 40 फीसदी हम देते हैं और 60 फीसदी कंपनी लाती है. इसमें तीस फीसदी उनका होता है. गडकरी ने कहा कि इसका 15 साल तक मेंटेनेंस उन्हीं के हाथ में होता है. हमने ऐसे 250 प्रोजेक्ट 15 सालों के लिए ऑपरेशन मेंटेनेंस प्राइवेट एजेंसी को दिया है.