महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के नये भवन के लिये साढ़े आठ करोड़ स्वीकृत
भोपाल। प्रदेश में संस्कृत भाषा में विद्यार्थियों को शिक्षा दिलाने के लिये स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के माध्यम से 5 आदर्श संस्कृत विद्यालय सिरोंज, दतिया, उज्जैन, बुरहानपुर और कटनी जिले के बरही में संचालित किये जा रहे हैं। इन विद्यालयों में परंपरागत विधि दी जा रही संस्कृत की शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिये आधुनिक पद्धति का उपयोग किया जा रहा है। इन सभी विद्यालयों में संस्कृत और इसके साहित्य को शामिल करते हुए स्वरोजगार पाठ्यक्रम से जोड़ा गया है। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की विद्या परिषद् में कक्षा एक से 12 तक नवीन पाठ्यक्रम निर्मित कर 58 संस्कृत पाठ्य-पुस्तकों को तैयार करने के लिये 5 करोड़ रूपये मंजूर किये गये हैं। संस्थान से संबद्ध 36 संस्कृत विद्यालयों को कम्प्यूटर प्रदान किये गये हैं। संस्थान द्वारा व्यवसायिक पाठ्यक्रम के रूप में व्यवहारिक ज्योतिष शास्त्र का डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।
संस्थान का नया भवन
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान का भोपाल में सर्व-सुविधा युक्त 4 मंजिला नवीन भवन बनाया जा रहा है। इसके लिये 8 करोड़ 50 लाख रूपये मंजूर किये गये हैं। भवन में 200 सीटर ऑडिटोरियम की सुविधा भी होगी।
उज्जैन की जीवाजी वेधशाला का संचालन
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान द्वारा उज्जैन में जीवाजी वेधशाला का संचालन किया जा रहा है। इस वेधशाला की गिनती देश की प्राचीनतम् वेधशाला के रूप में होती है। इसका निर्माण सवाई राजा जयसिंह ने वर्ष 1719 में करवाया था। पर्यटकों को प्राचीन वेधशाला की जानकारी देने के लिये वेबसाईट तैयार की गई है। वेबसाईट में प्राचीन यंत्रों, मौसम यंत्रों, पंचांग, पुस्तकों, फोटो गैलरी एवं वेधशाला के कार्यो को स्थान दिया गया है। प्रादेशिक मौसम केन्द्र नागपुर द्वारा इलेक्ट्रॉनिक बैरोमीटर वेधशाला में लगाया गया है। वेधशाला के पुस्तकालय में प्राचीन ग्रंथों के डिजिटलाइजेशन का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। वेधशाला में प्राचीन ग्रंथों को सुरक्षित रखने के मकसद से करीब डेढ़ लाख पृष्ठों को स्केन भी किया गया है।