हम किसी कला के लिए नहीं , हिन्दू समाज के संगठन के लिए समर्पित हैं – डॉ. भागवत जी


भारत भारती में संघ के अखिल भारतीय बीस दिवसीय घोष नैपुण्य वर्ग का समापन ।

55 मिनिट अनवरत घोष वादन ने सबका मन मोहा ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठन करना है । शाखा के कार्यक्रम उसका माध्यम है । संघ का स्वयंसेवक हर कार्य मे उत्कृष्टता प्राप्त करता है । हमने घोष वर्ग में कई वाद्यों पर अलग अलग राग रागिनी सीखी है पर हम किसी कला के लिए नहीं अपितु हिन्दू समाज के संगठन के लिए समर्पित है । उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत जी ने भारत भारती आवासीय विद्यालय में गत 25 सितम्बर से चल अखिल भारतीय घोष वर्ग के समापन अवसर पर स्वंयसेवकों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि संघ का कार्यकर्ता सामान्य जैसा ही रहता है, आलौकिक नहीं रहता पर उसे सदैव अपने ध्येय का स्मरण रहता है । अनासक्त होकर काम करता है । उत्कृष्टता की साधना करने वालों को अन्य लोगों के प्रति करुणा , प्रेम और सहानुभूति की दृष्टि होनी चाहिए । प्रसिद्ध संगीतकार पंडित भीमसेन जोशी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पंडित जी ने योग्यता होते हुए भी संगीत सीखने के लिए कठिन परीक्षा दी । पर अपने शिष्यों की कठिन परीक्षा नहीं ली । उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें शिक्षा दी । उनके मन मे कभी अहंकार नही रहा । हमें भी यह शिक्षा अपने-अपने प्रान्तों में जाकर स्वयंसेवकों को सिखानी है ।

बिना उत्कृष्टता के आनंद नहीं मिलता । बिना उत्कृष्टता के तृप्ति नहीं मिलती । इसलिए सर्वोत्कृष्ट प्राप्त करना ।
विदित है कि बीस दिन से चल रहे घोष वर्ग में देश के प्रत्येक प्रांत से आये स्वयंसेवक घोष वाद्यों में नैपुण्यता प्राप्त कर रहे थे । इस अवसर पर बीस दिन सीखे वादन का अनवरत 55 मिनिट भागवत जी और नगर के स्वयंसेवकों के समक्ष जब घोष वादकों ने वादन किया तो सबका मन मोह लिया । घोष वादकों ने नागांग, तूर्य, स्वरद, वंशी, आनक, शंख आदि वाद्यों की भारतीय राग पर आधारित 47 रचनाओं का वादन किया । जिनमे राग भूपाली, शिवरंजनी, बहार, कल्याण, पहाड़ी आदि राग सम्मिलित थे । शंख की एक नई धुन मार्तण्ड का भी वर्ग में निर्माण एवं वादन विशेष रूप से किया गया ।
वर्ग में सम्पूर्ण देश से एक सैंकड़ा प्रशिक्षार्थीयों ने भाग लिया । दो दिन तक संघ के सरसंघचालक का सानिध्य पाकर स्वयंसेवक गदगद हुए । भागवत जी ने भी संघस्थान पर स्वयंसेवकों को विभिन्न वाद्यों का प्रशिक्षण दिया । इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख श्री सुनील कुलकर्णी, सह शारीरिक प्रमुख श्री जगदीश कुमार, मध्यभारत प्रांत के संघचालक श्री सतीश पिम्पलीकर, प्रान्त प्रचारक श्री अशोक पोरवाल सहित अनेक क्षेत्रीय और प्रांतीय अधिकारी उपस्थित थे ।