केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बहुचर्चित जीएसटी ऐक्ट (वस्तु एवं सेवा कर टैक्स एक्ट), 2017 तथा इसके क्षतिपूर्ति विनियमन, 2017 को संवैधानिक ठहराया। इसके साथ ही इनके खिलाफ दायर याचिकाएं भी खारिज कर दीं। न्यायाधीश एके सीकरी और न्यायाधीश अशोक भूषण की पीठ ने यह फैसला एक कोयला आयात कंपनी की याचिका पर दिया। कंपनी ने कहा था कि स्वच्छ ऊर्जा के एवज में वसूला गया सेस जीएसटी के तहत वसूले गए राज्यों के टैक्स में समायोजित कर उसे इसका लाभ दिया जाए। कंपनी का कहना था कि ऐसा प्रावधान न होने के कारण जीएसटी ऐक्ट और राज्य क्षतिपूर्ति ऐक्ट असंवैधानिक हैं। कोर्ट ने कंपनी की सभी दलीलें खारिज कर दीं। पीठ ने कहा कि राज्यों की क्षतिपूर्ति के लिए ऐक्ट बनाना संसद की विधायी शक्ति से बाहर नहीं है। अनुच्छेद 270 संसद को सेस लगाने के लिए कानून बनाने की शक्ति देता है। संसद राजस्व के नुकसान पर राज्यों को क्षतिपूर्ति करने के लिए जीएसटी से आए राजस्व में से सेस देने का प्रावधान कर सकता है।
कोर्ट ने कहा कि जब संविधान के प्रावधान यह कहते हैं कि संसद राज्यों को राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए कानून बना सकती है तो यह हम नहीं मान सकते कि संसद को राज्यों के लिए कर की क्षतिपूर्ति का कानून बनाने का अधिकार नहीं है। संसद को वस्तु एवं सेवा कर के लिए कानून बनाने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 246 ए में है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं का यह तर्क भी खारिज कर दिया कि राज्यों के लिए क्षतिपूर्ति कानून बनाना संसद के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।